*लाल रेखा;* एक बारगी आपको मोहब्बत का इंक़लाब लग सकती है, लेकिन ऐसा है नहीं। हाॅं ये इंक़लाब की बात ज़रुर करती है, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत से। ब्रितानी सरकार में रहते हुए कैसे भारतीयों को एक तरफ वफ़ादरी निभानी पड़ती थी, तो दूसरी तरफ राष्ट्र के लिए कु़र्बानी देनी पड़ी। शुरुआत में किताब फ़ौरी जानकारी देती है, पर लेखक 'कुशवाह कांत' का श्रम आपको अंत में जाकर चौंका देता है। तब आप सन्न रह जाते हैं। यदि आप भारत में ब्रिटिश सत्ता, आजादी के मतवालों के जोश, जुनून, जजबे, और क्रांतिकारी का सस्पेंस। इनमें से कुछ एक भी पढ़ना चाहते हैं तो यह किताब आपके लिए है।